अजमेर 10 जून। केन्द्रीय कारागृह, अजमेर में निरूद्ध बंदियों ने कारागृह में ऑर्केस्ट्रा बैण्ड के माध्यम से एक नई ऊर्जा का संचार किया जा रहा है। जेल अधीक्षक श्रीमति सुमन मालीवाल की इस अनूठी पहल, नवाचार एवं स्वयं के प्रयासों से कारागृह में आशाएँ बंदी ऑर्केस्ट्रा बैण्ड, केन्द्रीय कारागृह अजमेर का शुभारंभ् किया गया।
इस ’आशाएँ’ ऑर्केस्ट्रा बैण्ड के लिए अधीक्षक श्रीमती सुमन मालीवाल के अथक प्रयासाें के द्वारा मुख्यमंत्री जिला नवाचार निधि 2021 योजना के अन्तर्गत जिला परिषद अजमेर से संगीत उपकरण प्राप्त किए गए। इसमें पियानो, गिटार, ऑक्टोपेड, कोन्गो, ढोलक, तबला, ड्रम, काजोन एवं सिगंर की-बोर्ड सम्मिलित है। इसमें प्रशिक्षित संगीतज्ञ श्री रवजीत सिंह द्वारा सजा प्राप्त व विचाराधीन बंदियों को प्रतिदिन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें पियानो पर गौरव, गिटार पर नयन, ऑक्टोपेड पर ब्रजमोहन, कोन्गो पर राजू, ढोलक पर शिवराज, तबला पर रणजीत, ड्रम पर ईश्वर आदि बंदियों द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त किया जा रहा है।
कारागृह अधीक्षक श्रीमति सुमन मालीवाल ने बताया कि आशाएँ ऑर्केस्ट्रा बैण्ड प्रशिक्षण की यह पहल कारागृह में निरूद्ध बंदियों की सांस्कृतिक प्रतिभा को निखारने, जीवन में नवीनता लाने, स्वनियोजित करने के लिए एवं बंदियों को नकारात्मकता के भाव से निकालकर सकारात्मक सोच की ओर उन्मुख करने तथा कारागृह में अन्य बंदियों के प्रेेरणास्त्रोत के लिए यह आशाएँ ऑर्केस्ट्रा बैण्ड एक सेतु के रूप में कार्य करेगी। इस आशाएँ ऑर्केस्ट्रा बैण्ड में प्रशिक्षु बंदी केवल कारागृह मे ही नहीं अपितु कारागृह के बाहर भी अपनी धुनों, गीतों तथा साजों के माध्यम से समाज के व्यक्तियों की बंदियों के प्रति नकारात्मक सोच को बदलकर पुनः अपने साथ समाज में पुर्नस्थापित करने की दिशा में एक ठोस कदम होगा। ऑकेस्ट्रा बंदी बैण्ड वर्तमान अधीक्षक का बीजांकुर है, जिन्होंने केन्द्रीय कारागृह कोटा के पदस्थापन के दौरान भी इस बैण्ड का प्रारंभ व संचालन सफलतापूर्वक किया।
जिला कलक्टर अजमेर श्री अंश दीप ने इस ऑकेस्ट्रा बैण्ड को बंदियों में सकारात्मक परिवर्तन के रूप में मानते हुए इसे मुख्यमंत्री नवाचार निधि से नवाचार के रूप में सृजन की तत्काल ही वित्तीय स्वीकृति प्रदान की। इसी का परिणाम है कि आज यह केन्द्रीय कारागृह अजमेर बंदियों का ऑर्केस्ट्रा बैण्ड मूर्त रूप ले चुका है।
राजस्थान के इस बंदी ऑकेस्ट्रा बैण्ड की विशेषता यह है कि यह अपनी प्रस्तुति शहर के प्रोग्राम में भी दे सकता है। अर्थात् यह ऑकेस्ट्रा बैण्ड आम आदमी की पहुँच में है। इसकी बुकिंग के लिए केन्द्रीय कारागृह के कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है। किसी भी प्रकार के सामाजिक कार्यक्रम यथा शादी समारोह, जन्मदिन में इसकी बुकिंग करवाई जा सकती है। बंदी बैण्ड ऑर्केस्ट्रा को प्रारंभ करने के पीछे उद्देश्य बंदियों को रोजगार का नवीन माध्यम प्रदान करना है। बैण्ड में कार्यरत बंदियों को बुकिंग से प्राप्त राशि का 50 प्रतिशत सीधा उनके बैंक अकाउण्ट के माध्यम से भुगतान किया जाता है। यह उनके रोजगार का साधन है।
जेल अधीक्षक श्रीमती सुमन संगीत को एक थैरेपी मानती है । वाद्य यंत्राें से जुड़ना सरस्वती की साक्षात पूजा हैं। यह व्यक्ति के हृदय में आमूल-चूल परिवर्तन करती है। धुनें बजाना, वाद्य यंत्राें पर अपनी ऊंगलियोें के कमाल से सुर निकालना व्यक्ति को अपनी आत्मा से जोड़ता है। वहीं संगीत सुनना भी व्यक्ति को मानसिक, आध्यात्मिक संतोष एवं सुख प्रदान करता है।
इस ऑर्केस्ट्रा बैण्ड को तैयार करने में मनोयोग से जुटे है श्री धारासिंह उपकारापाल एवं श्री रेशम मुख्य प्रहरी। कुछ ही दिनों में यह बंदी ऑर्केस्ट्रा बैण्ड शहर में अपना जादू बिखेरने वाला है। कारागृहों की काली लम्बी सलाखों के पीछे गूंजने वाला यह संगीत अपराधियों की मानसिक वृत्ति में सुधार करने का उचित, सकारात्मक तथा सफल माध्यम है।
वर्तमान जेल महानिदेशक श्री भूपेन्द्र कुमार दक के निर्देशन में यह बंदी ऑर्केस्ट्रा बैण्ड़ तैयार किया गया है। राजस्थान में बंदी बैण्ड नियमों के तहत यह संचालित किया जा रहा है। इसमें विचारधीन बंदी भी भाग ले सकते है। इस बैण्ड में अभी 21 बंदी ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे है। बंदी गौरव तथा बृजमोहन अहम् किरदार निभा रहे हैं। बंदी गौरव संगीत में विशरद की उपाधि हासिल कर चूके हैं।