अजमेर नगर निगम के मेयर पद पर भाजपा की पार्षद बृज लता हाड़ा अपना कब्जा कर चुकी है। अब किस्सा कुर्सी का पहुंचा है डिप्टी मेयर के पद पर। डिप्टी मेयर का पद अनारक्षित पद है, इसीलिए इस बार डिप्टी मेयर के पद के लिए सभी वर्ग अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस पद को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अति उत्साहित है। कॉन्ग्रेस इस बात से भी उत्साहित है कि भाजपा में डिप्टी मेयर पद के लिए कई दावेदार है जो इस पद पर काबिज होने की काबिलियत और रुतबा दोनों रखते हैं। ऐसे में किसी एक उम्मीदवार का चयन करना भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है। वहीं कांग्रेस यह भी जानती है कि डिप्टी मेयर का पद भी उसके हाथ आने वाला नहीं है, फिर भी वह सिर्फ नाम करने के लिए अपने प्रत्याशी डिप्टी मेयर के चुनाव में उतारने वाली है।
सबसे पहले बात भाजपा की। भाजपा ने इस बार के नगर निकाय चुनाव में 80 में से 48 सीटों पर जीत हासिल की है भाजपा में डिप्टी मेयर पद के लिए ज्ञान सारस्वत रमेश सोनी नीरज जैन अजय वर्मा आदि के नाम सामने आ रहे हैं इन सभी नमो की अपनी खासियत है जहां ज्ञान सारस्वत और नीरज जैन सामान्य वर्ग के प्रतिनिधि हैं वही रमेश सोनी और अजय वर्मा ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हो बात करें ज्ञान सारस्वत की तो ज्ञान सारस्वत इस बार के निकाय चुनाव में ना सिर्फ अजमेर में बल्कि पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा वोट परसेंटेज से जीतने वाले प्रत्याशी रहे हैं ज्ञान सारस्वत की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की उनके पिछले वार्ड यानी वार्ड नंबर 3 के प्रत्याशी भी अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें अपना रोल मॉडल मानकर उन्हीं के नक्शे कदमों पर चलकर वार्ड का विकास करने के वायदे करते नजर आए वार्ड नंबर 3 से भाजपा की विजेता प्रत्याशी प्रतिभा पाराशर भी ज्ञान सारस्वत के सहयोग से ही जीत हासिल कर पाई है लोगों का मानना है कि ज्ञान सारस्वत अजमेर के एक ऐसे नेता हैं जो अजमेर के किसी भी वार्ड से चुनाव लड़े तो उनकी जीत निश्चित है ऐसे में ज्ञान भी डिप्टी मेयर के पद के लिए मजबूत दावेदारी रखते हैं लेकिन यहां ज्ञान सारस्वत को अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी का समर्थन नहीं मिल रहा है वासुदेव देवनानी रमेश सोनी को डिप्टी मेयर बनाने पर अड़े हुए हैं। कहीं ना कहीं देवनानी भी यह जानते हैं की ज्ञान सारस्वत अगले विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से विधायक बनने की काबिलियत रखते हैं और अब तो जिले के ब्राह्मण समाज का भी समर्थन ज्ञान सारस्वत को मिल रहा है, जो कि भाजपा का परंपरागत वोट बैंक रहा है। ऐसे में अजमेर के डिप्टी मेयर का पद तो ज्ञान सारस्वत के लिए सिर्फ एक शुरुआत मात्र होगी। इसीलिए देवनानी कोई खतरा उठाना नहीं चाहते।
वहीं अगर बात करें रमेश सोनी की, तो रमेश सोनी इस वक्त अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी की आंखों का तारा बने हुए हैं। देवनानी का कहना है कि जब मेयर का पद अजमेर दक्षिण के प्रत्याशी को दिया गया है तो डिप्टी मेयर का पद अजमेर उत्तर के प्रत्याशी को दिया जाए। यहां रमेश सोनी के लिए नुकसान की बात यह है कि भाजपा के ही कई नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष तक यह खबर पहुंचाई है कि रमेश सोनी का नाम एक चिट फंड घोटाले में शामिल था और उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया था। हालांकि रमेश सोनी ने किसी भी घोटाले में अपना नाम शामिल होने की बात से साफ इंकार किया है।
नीरज जैन भाजपा में डिप्टी मेयर पद के उम्मीदवारों में से एक है। यह वही नीरज जैन है जो अभी हाल ही में संपन्न हुए नगर निकाय चुनाव में सिर्फ 1 वोट से विजयी हुए हैं। लेकिन नीरज को भी भाजपा के विजयी पार्षदों की टीम से समर्थन प्राप्त है ऐसे में उनकी दावेदारी भी प्रबल नजर आ रही है।
अब अगर अजय वर्मा की बात करें तो अजय वर्मा भी ओबीसी वर्ग से संबंध रखते हैं यदि रमेश सोनी को डिप्टी मेयर का प्रत्याशी बनाया जाता है तो अजय वर्मा भी बगावत कर सकते हैं।
इन सब पर भाजपा के चुनाव प्रभारी और पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी का कहना है कि भाजपा में किसी भी प्रकार का मतभेद नहीं है भाजपा एक ऐसी पार्टी है जहां प्रत्याशी का चयन पार्टी स्तर पर किया जाता है ना कि व्यक्तिगत स्तर पर ऐसे में 8 फरवरी को होने वाले डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए पार्टी किसी उम्मीदवार का चयन करेगी और उसी की डिप्टी मेयर के पद पर ताज़पोशी करवाएगी। हालांकि यह बात भी सच है कि इतने सारे काबिल उम्मीदवारों के बीच किसी एक का चयन करना और बाकी उम्मीदवारों को भी संतुष्ट करना भाजपा के लिए काफी मुश्किल होने वाला है।
अब बात कांग्रेस की कांग्रेसी अच्छी तरह जानती है कि डिप्टी मेयर का पद भी उसके हाथ नहीं आने वाला है। लेकिन यहां वही वाली कहावत चरितार्थ है की उम्मीद पर दुनिया कायम है। कांग्रेस की अंदरूनी फूट जगजाहिर है ऐसे में कॉन्ग्रेस अपने उम्मीदवार के तौर पर पूर्व नगर निगम आयुक्त और महेंद्र सिंह रलावता के छोटे भाई एवं वर्तमान पार्षद गजेंद्र सिंह रलावता को अपना उम्मीदवार बनाने का विचार कर रही है। वही नौरत गुर्जर का नाम भी सुर्खियों में बना हुआ है। गजेंद्र सिंह रलावता एक साफ-सुथरी छवि के व्यक्ति हैं। ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि उनकी एक साफ-सुथरी छवि के चलते भाजपा के भी कई सदस्य क्रॉस वोटिंग करते हुए उन्हें अपना वोट दे दें। लेकिन यह बात भी सब जानते हैं की कांग्रेस में ही महेंद्र सिंह रलावता के कई विरोधी बैठे हैं और गजेंद्र सिंह रलावता ने अपनी जीत का श्रेय अपने बड़े भाई महेंद्र सिंह रलावता को दिया था। ऐसे में महेंद्र सिंह रलावता के विरोधी यह कभी नहीं चाहेंगे कि डिप्टी मेयर के पद पर गजेंद्र सिंह रलावता की ताजपोशी हो। अब देखना यह है कि डिप्टी मेयर का यह पद किस उम्मीदवार की किस्मत में जाता है। लेकिन यह पक्का है की डिप्टी मेयर के चुनाव के बाद दोनों ही पार्टियों में आपसी समझ और संबंधों के समीकरण बदल जाएंगे। कुछ विरोधी करीबियों में बदल जाएंगे, तो कुछ करीबी विरोधियों में बदल जाएंगे। लेकिन अजमेर शहर को इंतजार है अपने नए डिप्टी मेयर का जो विकास के इस दौर में जिले को साथ लेकर समय के साथ कदम से कदम मिला सके।