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Congress bjp in municipal election in ajmer

क्या रहा कांग्रेस की हार का कारण और कौन बनेगा भाजपा से मेयर-डिप्टी मेयर ?

politics
/
February 1, 2021
/
Satish

अजमेर नगर निगम के चुनाव संपन्न होने के साथ ही नतीजा भी घोषित हो चुका है। इस बार के चुनाव में कांग्रेस को बेहद करारी हार मिली है और इस हार का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस में टिकटों को लेकर हुई लूटमार  को माना जा रहा है।

 इस हार के कारण हो पर कांग्रेस के दिग्गज नेता और गत विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता पहले ही यह बात कह चुके हैं कि वे समीक्षा बैठक में उन लोगों के चेहरे से नकाब हटाएंगे, जो कांग्रेस की जबरदस्त हार के जिम्मेदार रहे हैं। यह बात पूरा शहर जानता है कांग्रेस में टिकटों का बंदरबांट किस तरह से हुआ है। टिकट वितरण पर कांग्रेस के दिग्गज नेता महेंद्र सिंह रलावता, हेमंत भाटी और निवर्तमान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन भी नाराजगी जता चुके हैं। कई नेताओं ने टिकट वितरण में धांधली का आरोप भी लगाया था, लेकिन उन सभी आरोपों को दरकिनार कर टिकटों का वितरण मनमाने तरीके से किया गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप यादव ने तो यहां तक आरोप लगा दिया कि जो उम्मीदवार कांग्रेस द्वारा घोषित किए गए थे उनके टिकट कुछ कद्दावर नेताओं द्वारा बदल दिए गए। यानि कॉन्ग्रेस वह घर साबित हुई है जिस में आग उस घर के रहने वालों ने ही लगाई है। प्रताप यादव तो यहां तक कहते हैं कि यह सारा कारनामा होटल मकराना में किया गया है। लेकिन कांग्रेस की इस हार पर सवाल खड़े होना भी लाजमी है। कांग्रेस का सबसे बड़ा वोट बैंक मुस्लिम बहुल क्षेत्र  माने जाते हैं  या यूं कहें कि यह कांग्रेस का परंपरागत  वोट बैंक है।  ऐसे में  क्या कारण रहे जो कांग्रेस ने  तीन मुस्लिम बहुल  वार्डों में  अपने उम्मीदवार तक खड़े नहीं किए।  हालांकि  अब  कांग्रेसी नेता महेंद्र सिंह रलावता  का कहना है  की  तीनो मुस्लिम बहुल  वार्डों के  निर्दलीय प्रत्याशी  कांग्रेस के साथ हैं।  इन तीन भागों में  वार्ड नंबर 11 के पार्षद अजहर खान वार्ड 12 की  शाहजहां बीबी  और वार्ड 13 के पार्षद मोहम्मद शकील  शामिल है।  इन तीनों ने ही  निर्दलीय  उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा  और जीत हासिल की। इधर  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक और बीज निगम के पूर्व अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह राठौड़ की सिफारिश पर बृजेंद्र सिंह राठौर को वार्ड 63 से कांग्रेस का उम्मीदवार बना दिया गया। लेकिन बृजेंद्र सिंह राठौर अपनी जमानत तक ना बचा सके। बृजेंद्र को मात्र 463 वोट मिले जबकि भाजपा के उम्मीदवार राजेंद्र सिंह राठौड़ ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 2397 वोट हासिल कर लिए। यहाँ आपको बता दें की इस बात से शौकत अली ने कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर टिकट मांगा था लेकिन शौकत को नजरअंदाज कर बृजेंद्र सिंह को टिकट दे दिया गया। ऐसे में शौकत ने निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़कर 1739 वोट हासिल किए। जबकि इस वार्ड से कांग्रेस को हमेशा फायदा ही मिला है। 

अब बात प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा की जिनकी सिफारिश से उम्मीदवार बने लोग अपनी जमानत तक गवाँ बैठे। डॉ रघु शर्मा  ने सिफारिश करके वार्ड 75 से योगेंद्र ओझा को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया सब जानते हैं कि योगेंद्र ओझा आर एस एस विचारधारा से संबंधित रहे हैं और टिकट न मिलने के कारण कांग्रेस में शामिल हुए थे इस वजह से उनकी काफी निंदा भी की गई थी रघु शर्मा की सिफारिश से उम्मीदवार बने योगेंद्र ओझा को सिर्फ 146 वोट मिले इसी तरह रघु शर्मा की सिफारिश से ही वार्ड 34 से जय श्री शर्मा को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया और जयश्री को सिर्फ 454 वोट मिले वहीं वार्ड 24 से पुष्पा शर्मा को भी रघु शर्मा की ही सिफारिश से टिकट मिला और पुष्पा चुनाव हार गई। यह कहा जा सकता है कि अजमेर उत्तर में टिकटों के वितरण में रघु शर्मा का जादू इस बार काम नहीं कर पाया गलत टिकट वितरण के कारण ही अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में वार्ड संख्या 2,3,4,6, 67,75, 79 और 25 में कांग्रेस के उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके।

अब बात कांग्रेस के दूसरे दिग्गज हेमंत भाटी जी हेमंत भाटी अजमेर दक्षिण से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। भाटी ने भी टिकट वितरण में धांधली होने का आरोप लगाया था, लेकिन उनके इस आरोप को नजरअंदाज कर दिया गया। लेकिन फिर भी भाटी का जादू अजमेर दक्षिण में कायम रहा। इसे हेमंत भाटी का जादू ही मानिए  कि जिन वार्डों में टिकट वितरण के वक्त उम्मीदवार की सिफारिश हेमंत भाटी ने की उनमें से अधिकांश उम्मीदवार चुनाव जीत गए और कई वार्डों में तो निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपना समर्थन हेमंत भाटी को दिया है। इन निर्दलीयों में वार्ड नंबर 30 से मोहम्मद वसीम, वार्ड 35 से जावेद खान, वार्ड 42 से काजल यादव और वार्ड 45 से बीना टांक प्रमुख है। यही कारण है कि कांग्रेस के 18 विजयी पार्षदों में से 11 विजयी पार्षद हेमंत भाटी के समर्थन में है। इस बार हेमंत भाटी को कमजोर समझना कांग्रेस को भारी पड़ गया।

  अगर भाजपा की बात करें तो  भाजपा ने अजमेर नगर निगम चुनाव में 48 सीटें जीतकर अपने सिर जीत का सेहरा बांध लिया है। पार्टी में खींचतान मेयर और डिप्टी मेयर के पद को लेकर है और यहां पर भी एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है। अजमेर नगर निगम में मेयर पद के लिए 2 फरवरी को नामांकन होना है और 7 फरवरी को मेयर पद के लिए चुनाव होना है। ऐसे में भाजपा ने अपने सभी विजय प्रत्याशियों को बाड़े में बंद कर दिया है। इस बाड़े बंदी का एक कारण जिला प्रमुख चुनाव के समय हुई बगावत को भी माना जा रहा है, जिसमें सुशील कंवर पलाड़ा ने बगावत करते हुए कांग्रेस से समर्थन लेकर भाजपा के उम्मीदवार को पटखनी दे दी थी। इसीलिए इस बार भाजपा ने कोई खतरा मोल नहीं लिया है।

अजमेर में मेयर का पद एससी वर्ग की महिला को दिया जाना है। ऐसे में भाजपा की तरफ से ब्रज लता हाड़ा उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल करेंगी। बृज लता हाडा भाजपा के शहर अध्यक्ष डॉ प्रियशील हाड़ा की पत्नी है। यहां आपको एक खास बात बता दें कि पहले बृज लता हाड़ा को चुनौती देने के लिए भाजपा से ही वंदना नरवाल और डॉ नेहा भाटी भी मेयर पद के लिए मैदान में थी लेकिन दोनों ही चुनाव हार गई। ब्रज लता हाड़ा के नाम पर आम सहमति बन चुकी है। कांग्रेस भी बृज लता हाड़ा के विरोध में अपने उम्मीदवार को नामांकन भरवायेगी।  सब जानते हैं कि इस नामांकन का कोई मतलब नहीं है, लेकिन फिर भी सिर्फ विरोध के लिए ऐसा करवाया जा रहा है।

 अजमेर के डिप्टी मेयर का पद सामान्य वर्ग को दिए जाने की मांग जोरशोर से उठाई जा रही है क्योंकि इस बार इस वर्ग की महत्वकांक्षा को पूरा करना भी एक चुनौती बना हुआ है। डिप्टी मेयर पद के लिए भाजपा में सामान्य वर्ग के ज्ञान सारस्वत, नीरज जैन, वीरेंद्र वालिया, देवेंद्र सिंह शेखावत, राजेंद्र राठौड़ भी अपना दावा प्रस्तुत कर रहे हैं। ज्ञान सारस्वत  इस बार  सर्वाधिक मतों से जीतने वाले  प्रत्याशी रहे हैं  जिन्होंने अपने वार्ड से मतदान में लगभग 89 % मत हासिल किए हैं। जबकि  नीरज जैन सब से कम अंतर से जीतने वाले पार्षद बने हैं। वही ओबीसी वर्ग से रमेश सोनी और अजय वर्मा ने भी अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर दी है। कहा जा रहा है कि रमेश सोनी को डिप्टी मेयर बनाने के लिए अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं। ऐसे में डिप्टी मेयर का पद भी भाजपा के लिए एक पहेली बना हुआ है। इसलिए प्रदेश का नेतृत्व भी बेहद सावधानी के साथ रणनीति बना रहा है। जहां राजस्थान के अन्य जिलों में निर्दलीय किंग मेकर की भूमिका निभा रहे हैं। वही अजमेर में मेयर पद के लिए निर्दलीयों की कोई खास भूमिका नहीं है, लेकिन डिप्टी मेयर पद के लिए निर्दलीयों की भूमिका भी अहम रहेगी, क्योंकि इस वक्त 13 निर्दलीय पार्षद ऐसे हैं जो भाजपा से बागी है। ऐसे में देखना यह होगा कि इन 2 पदों के लिए होने वाले महासंग्राम में भाजपा किस तरह से चतुराई दिखाते हुए अपने पार्षदों की महत्वाकांक्षाओं को शांत कर पाती है।

Previous वार्ड 6 के प्रत्याशी कुंदन वैष्णव का विजय जुलूस में हुआ हंगामा Next निर्दलीय नवनिर्वाचित पार्षद काजल यादव ने पहले दिन ही किया काम शुरू
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